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भारतीय रसोई - लुप्त धातु विज्ञान

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आयुर्वेद में धातु भस्म का प्रयोग बहुत से रोगो के निदान के लिए किया जाता है। जिसमे ताम्र, लौह, जस्त, स्वर्ण, चांदी आदि धातुएं है। जिसका सीधा तात्पर्य यह हुआ कि हमारे शरीर को सभी धातुओं की आवश्यकता होती है। जिसकी पूर्ति हम अन्न और सब्जियों से करते है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब मिट्टी में धातु उपलब्ध होगी । शायद इसी लिए भारतीय रसोई में सभी धातुओं के बर्तनों का उपयोग किया जाता था। बल्कि हमारे पूर्वजों ने धातु ज्ञान को इतना विकसित कर लिया था कि दो या दो से अधिक धातुओं को मिला कर उनके बर्तन बनाये ताकि एक ही उपयोग में सभी धातुओं का लाभ मिल सके। जिनके प्रमुख उदाहरण कांसा और पीतल है।  धातुओं का दैनिक उपयोग एवं इनका वैज्ञानिक प्रभाव   आज हम विज्ञान के दौर में है। हमें धातुओं के  दैनिक उपयोग के शरीर पर होने वाले वैज्ञानिक प्रभावों को समझना चाहिए। हमारे पूर्वजो ने मुख्य रूप से ताम्बे (copper)  का प्रयोग किया। जिनसे ज्यादातर पीने के पानी के पात्र बनाये। ताम्बा (Copper) और जस्ते (Zinc) से मिला कर पीतल (Brass) बनाया।  जिनके भोजन पकाने के बर्तन बने। ताम्बे (Copper) और रांगा (Tin) से मिला